.

Home » Chalisa » शीतला चालीसा | Shitala Chalisa





शीतला चालीसा | Shitala Chalisa


दोहा

जय जय माता शीतला
तुमहिं धरै जो ध्यान *
होय विमल शीतल हृदय
विकसै बुद्धी बल ज्ञान **


चौपाई

जय-जय-जय श्री शीतला भवानी *
जय जग जननि सकल गुणधानी **


गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित *
पूरण शरदचंद्र समसाजित **


विस्फोटक से जलत शरीरा *
शीतल करत हरत सब पीड़ा **


मात शीतला तव शुभनामा *
सबके गाढे आवहिं कामा 4


शोक हरी शंकरी भवानी *
बाल-प्राणक्षरी सुख दानी **


शुचि मार्जनी कलश करराजै *
मस्तक तेज सूर्य सम साजै **


चौसठ योगिन संग में गावैं *
वीणा ताल मृदंग बजावै **


नृत्य नाथ भैरौं दिखलावैं *
सहज शेष शिव पार ना पावैं 8


धन्य धन्य धात्री महारानी *
सुरनर मुनि तब सुयश बखानी **


ज्वाला रूप महा बलकारी *
दैत्य एक विस्फोटक भारी **


घर घर प्रविशत कोई न रक्षत *
रोग रूप धरी बालक भक्षत **


हाहाकार मच्यो जगभारी *
सक्यो न जब संकट टारी 12


तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा *
कर में लिये मार्जनी सूपा **


विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्हो *
मूसल प्रमाण बहुविधि कीन्हो **


बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा *
मैय्या नहीं भल मैं कछु कीन्हा **


अबनहिं मातु काहुगृह जइहौं *
जहँ अपवित्र वही घर रहि हो 16


अब भगतन शीतल भय जइहौं *
विस्फोटक भय घोर नसइहौं **


श्री शीतलहिं भजे कल्याना *
वचन सत्य भाषे भगवाना **


पूजन पाठ मातु जब करी है *
भय आनंद सकल दुःख हरी है **


विस्फोटक भय जिहि गृह भाई *
भजै देवि कहँ यही उपाई 20


कलश शीतलाका सजवावै *
द्विज से विधीवत पाठ करावै **


तुम्हीं शीतला जगकी माता *
तुम्हीं पिता जग की सुखदाता **


तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी *
नमो नमामी शीतले देवी **


नमो सुखकरनी दु:खहरणी *
नमो- नमो जगतारणि धरणी 24


नमो नमो त्रलोक्य वंदिनी *
दुखदारिद्रक निकंदिनी **


श्री शीतला शेढ़ला महला *
रुणलीहृणनी मातृ मंदला **


हो तुम दिगम्बर तनुधारी *
शोभित पंचनाम असवारी **


रासभ खर बैसाख सुनंदन *
गर्दभ दुर्वाकंद निकंदन 28


सुमिरत संग शीतला माई
जाही सकल सुख दूर पराई **


गलका गलगन्डादि जुहोई *
ताकर मंत्र न औषधि कोई **


एक मातु जी का आराधन *
और नहिं कोई है साधन **


निश्चय मातु शरण जो आवै *
निर्भय मन इच्छित फल पावै 32


कोढी निर्मल काया धारै *
अंधा दृग निज दृष्टि निहारै **


बंध्या नारी पुत्र को पावै *
जन्म दरिद्र धनी होइ जावै **


मातु शीतला के गुण गावत *
लखा मूक को छंद बनावत **


यामे कोई करै जनि शंका *
जग मे मैया का ही डंका 36


भगत ‘कमल’ प्रभुदासा *
तट प्रयाग से पूरब पासा **


ग्राम तिवारी पूर मम बासा *
ककरा गंगा तट दुर्वासा **


अब विलंब मैं तोहि पुकारत *
मातृ कृपा कौ बाट निहारत **


पड़ा द्वार सब आस लगाई *
अब सुधि लेत शीतला माई 40


दोहा

यह चालीसा शीतला
पाठ करे जो कोय *
सपनें दुख व्यापे नही
नित सब मंगल होय **


इति श्री शीतला चालीसा

.