दोहा
जय जय माता शीतला
तुमहिं धरै जो ध्यान *
होय विमल शीतल हृदय
विकसै बुद्धी बल ज्ञान **
चौपाई
जय-जय-जय श्री शीतला भवानी *
जय जग जननि सकल गुणधानी **
गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित *
पूरण शरदचंद्र समसाजित **
विस्फोटक से जलत शरीरा *
शीतल करत हरत सब पीड़ा **
मात शीतला तव शुभनामा *
सबके गाढे आवहिं कामा 4
शोक हरी शंकरी भवानी *
बाल-प्राणक्षरी सुख दानी **
शुचि मार्जनी कलश करराजै *
मस्तक तेज सूर्य सम साजै **
चौसठ योगिन संग में गावैं *
वीणा ताल मृदंग बजावै **
नृत्य नाथ भैरौं दिखलावैं *
सहज शेष शिव पार ना पावैं 8
धन्य धन्य धात्री महारानी *
सुरनर मुनि तब सुयश बखानी **
ज्वाला रूप महा बलकारी *
दैत्य एक विस्फोटक भारी **
घर घर प्रविशत कोई न रक्षत *
रोग रूप धरी बालक भक्षत **
हाहाकार मच्यो जगभारी *
सक्यो न जब संकट टारी 12
तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा *
कर में लिये मार्जनी सूपा **
विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्हो *
मूसल प्रमाण बहुविधि कीन्हो **
बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा *
मैय्या नहीं भल मैं कछु कीन्हा **
अबनहिं मातु काहुगृह जइहौं *
जहँ अपवित्र वही घर रहि हो 16
अब भगतन शीतल भय जइहौं *
विस्फोटक भय घोर नसइहौं **
श्री शीतलहिं भजे कल्याना *
वचन सत्य भाषे भगवाना **
पूजन पाठ मातु जब करी है *
भय आनंद सकल दुःख हरी है **
विस्फोटक भय जिहि गृह भाई *
भजै देवि कहँ यही उपाई 20
कलश शीतलाका सजवावै *
द्विज से विधीवत पाठ करावै **
तुम्हीं शीतला जगकी माता *
तुम्हीं पिता जग की सुखदाता **
तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी *
नमो नमामी शीतले देवी **
नमो सुखकरनी दु:खहरणी *
नमो- नमो जगतारणि धरणी 24
नमो नमो त्रलोक्य वंदिनी *
दुखदारिद्रक निकंदिनी **
श्री शीतला शेढ़ला महला *
रुणलीहृणनी मातृ मंदला **
हो तुम दिगम्बर तनुधारी *
शोभित पंचनाम असवारी **
रासभ खर बैसाख सुनंदन *
गर्दभ दुर्वाकंद निकंदन 28
सुमिरत संग शीतला माई
जाही सकल सुख दूर पराई **
गलका गलगन्डादि जुहोई *
ताकर मंत्र न औषधि कोई **
एक मातु जी का आराधन *
और नहिं कोई है साधन **
निश्चय मातु शरण जो आवै *
निर्भय मन इच्छित फल पावै 32
कोढी निर्मल काया धारै *
अंधा दृग निज दृष्टि निहारै **
बंध्या नारी पुत्र को पावै *
जन्म दरिद्र धनी होइ जावै **
मातु शीतला के गुण गावत *
लखा मूक को छंद बनावत **
यामे कोई करै जनि शंका *
जग मे मैया का ही डंका 36
भगत ‘कमल’ प्रभुदासा *
तट प्रयाग से पूरब पासा **
ग्राम तिवारी पूर मम बासा *
ककरा गंगा तट दुर्वासा **
अब विलंब मैं तोहि पुकारत *
मातृ कृपा कौ बाट निहारत **
पड़ा द्वार सब आस लगाई *
अब सुधि लेत शीतला माई 40
दोहा
यह चालीसा शीतला
पाठ करे जो कोय *
सपनें दुख व्यापे नही
नित सब मंगल होय **
इति श्री शीतला चालीसा